आज बेवफाओं की महफ़िल से होके आया, था जो मिरे दिल का कातिल,उससे रूबरू होके आया मदिरा बंट रही थी वहां दिल-ए- गम भुलाने को में भी उस बेवफा की याद में एक जाम पीके आय.
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