गुजरतें लम्हों में, मैं सदियाँ तलाश करता हूँ मैं ज़िंदगी का मुशाफ़िर हूँ मंजिल तलाश करता हूँ यहाँ लोग गिनाते हैं अपनी बुलंदियाँ साहेब मैं अपने आप में खामियाँ तलाश.
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