ज़र्द_पत्ते झड़ गए है, आ गए पत्ते नए.. शरद के जाते ही मौसम, ने है बदली रंग है.. मौसमें गुलज़ार है अब, फिज़ा में फैली बहार है.. कोयल की कहीं कुक गूंजे, कहीं गूंजे च.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here