वो वक्त कितना अच्छा था... जब तू मेरा कृष्ण था... जब से तूने द्वारका संभाला... तूझे सिर्फ प्रजा दिखी... तूझे सूदामा दिखे, पांडव दिखे... ना दिखी तो बस मै... मेरा.
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