कल चाँदनी रात में, इक हसीन ख़्वाब में, दो नैना बावरे प्रियवर की राह ताकते रहे। ना जाने कब होगा आख़िर दीदार उनका, ये सोचकर ख़्वाब ख़ुद नैनों में झाँकते रहे। ©Mah.
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