स्त्री खुद को फुलो -सा- नाजुक समझती हैं तभी किसी के भी पैरों के निचे कुचला जाती हैं जिस दिन वो स्वयं को अंगारे समझेगी किसी की हिम्मत नहीं होगी पैर रखने की|.
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