ऐ ज़मीं ए करबला, ज़रा बढ़कर इस्तकबाल तो कर! काफ़िला ए नवासा ए रसूल, बढ़ रहा है तुझ तरफ..! मुकबिल है शब ए आशूरा अब तो। हाले आले रसूल अब क्या ही होगा...!! ✍️✍️म.
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