बहुत भींगा ली , तेरी यादों से रूह आओ , इस बारिश में जिस्म भीगाते हैं । टहनियां भी ओढ ली हरी ओढ़नी , चलो ओढ़नी के बीच गुफ्तगू करते हैं । वो खिड़की गवाह ह.
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