दिल्लगी
तेरी नजरों पर मिटती चिंताए मेरी,
तू हमसफर रुहानी धुन मेरी,
तेरी लटों पर फिसलती उलझने मेरी,
तू हमदम, कोरी जिंदगी की रंगत मेरी|
ज़िंदगी की दिल्लगी, दिल्लगी तुझसे मेरी,
मेरे चेहरे की मुस्कराहर, जीवन रीत मेरी।
दो पल लफ्जों की गुफतगू तुझसे,
मेरे कई दिनों की धड़कन बन गई।
ख्वाबों में झलक, सुरमई आंखे तेरी,
नैंनों में जिंदगी बसर हो गई।
ज़िंदगी की दिल्लगी, दिल्लगी तुझसे मेरी,
मेरे चेहरे की मुस्कराहट, जीवन रीत मेरी।
तेरे साथ बिताए पलों का मोल ना,
अपना रिश्ता अनमोल कर गया।
तेरे नाम की फिजा, कोई जोर ना,
'उत्कर्ष' नाम अमर कर गया।
ज़िंदगी की दिल्लगी, दिल्लगी तुझसे मेरी,
मेरे चेहरे की मुस्कराहर, जीवन रीत मेरी।
©Ankit verma 'utkarsh'
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