ये क्लब , ये पार्टिया, ये घूमना -फिरना ये दुनिया के दिखावे से परे हु, मुझे पसंद है, मेरी साडी़ के आँचल मे , कोई अपना गमछा बांध सुने मेरे साथ सत्यनारायण की कथ.
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