अगर जब हम चलने की ठान लेते हैं तो न जमी और न ही आसमान देखते हैं, खुद पर भरोसा इतना है कि समुंद के तूफान भी हमारे लिए रास्ता छोड़ के रखते हैं! डीयर आर एस आज़ा.
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