चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़ , ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पे मजबूर हैं हम ... ©Arshu.... चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़ , ज़ुल्म की छाँव मे.
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