मैं लिखता नही सिर्फ वाहवाही पाने को, चाहत दौलत नही मेरी रुतबा बड़ा हो, ना ऐसा अरमान है। कुछ रंजो-गम, गिले-शिकवे है, कुछ पछताप हैं, अधर्म, पाप है, जो जाने अन.
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