हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुनगुनाती ये नज़र किस तरह समझे मेरी क़िस्मत की नामंज़ूरिया.
1 Stories
14 Love
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here