(तस्वीर ऐ कल) 
बदलते वक्त की तस्वीर हूँ मैं,
एक उज
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(तस्वीर ऐ कल) बदलते वक्त की तस्वीर हूँ मैं, एक उजड़े दयार की तकदीर हूँ मैं! कोई कभी खरीद नहीं पाया ज़मीर को मेरे, एक ऐसी ला क़ीमत जागीर हूँ मैं! तेरी जबी का बोसा लेना चाहते हैं, डर है कि एक ज़हर की तासीर हूँ मैं! तू सोच ले के तेरा मुस्तक्बिल सँवर जाए, तेरे उसी कल की बशीर हूँ मैं! लोग "परवेज़" जाने क्या क्या कह्ते हैं, जबकी खुद में ही एक नसीर हूँ मैं! ©Written By PammiG

#शायरी #maji  (तस्वीर ऐ कल) 
बदलते वक्त की तस्वीर हूँ मैं,
एक उजड़े दयार की तकदीर हूँ मैं!

कोई कभी खरीद नहीं पाया ज़मीर को मेरे,
एक ऐसी ला क़ीमत जागीर हूँ मैं!

तेरी जबी का बोसा लेना चाहते हैं,
डर है कि एक ज़हर की तासीर हूँ मैं!

तू सोच ले के तेरा मुस्तक्बिल सँवर जाए,
तेरे उसी कल की बशीर हूँ मैं!

लोग "परवेज़" जाने क्या क्या कह्ते हैं,
जबकी खुद में ही एक नसीर हूँ मैं!

©Written By PammiG
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