ख़ुद से रूठे हैं हम लोग। टूटे-फूटे हैं हम लोग॥ सत्य चुराता नज़रें हमसे, इतने झूठे हैं हम लोग। इसे साध लें, उसे बांध लें, सचमुच खूँटे हैं हम लोग।.
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