खामोशी ने डाले डेरे " ग्रहण लगा है चांद को मेरे, ख़ामोशी ने डाले डेरे, दूर-दूर तक नहीं रोशनी, पसरी है जैसे अंधेरे गहरे। सुर्ख़ होंठ पर पड़ी कालिमा ,मुस्कानों.
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