हमसफ़र बने हो यारों राजदार इस दिल के,,
हो गए हो तुम हमसफ़र इस इस पल के,
नोजोटो पर मिलना भी एक बस संयोग था,
नहीं तो जीवन में कब बना ये योग था,
भावनाओं को खूब हमने तुम्हारी जाना,
अनजान होकर भी हमने तुमको पहचाना,
तुम बने हो स्नेहीजन इस दिल के,
ये बात जाना रचना मै तुम्हारी मिल के,
तुम तो बहुत अजीज हो यारों,
इस दिल के करीब हो प्यारों
गंगा सा पावन ये मेल रहे,
भावनाओं का चलता खेल रहे,।।
, दीप,,
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