इक उम्र गुज़ार दी हमनें तेरे लौट आने के इंतज़ार में, कैसे कहूं तुम्हें ऐसा कोई दिन न हो जो गुज़ारा न हो तेरी याद में, हर वक़्त सोचता रहता हूँ कि भूलूं कैसे तु.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here