ये चांदनी क्या खूब है, जो खुद चांद का न हो सका, जो कभी था चांद मेरा , वो अब दूर हमसे हो गया, हक उसे भी है अपना, आसमान चुनने की, जो हुआ था चांद मेरा , अब और किसी.
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