श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता यत्र वृन्द.
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