कुछ आहत या क्षुब्ध हैं, कुछ के मन में रोष । बिना

"कुछ आहत या क्षुब्ध हैं, कुछ के मन में रोष । बिना किसी अपराध के , साधु मरे निर्दोष ।। वामी बिल में घुस गए , लिबरल साधे मौन । रक्षक मूक दर्शक बने , कातिल पकड़े कौन ।। ©susheel sk"

 कुछ आहत या क्षुब्ध हैं, 
कुछ के मन में रोष । 
बिना किसी अपराध के ,
 साधु मरे निर्दोष ।।
 वामी बिल में घुस गए , 
लिबरल साधे मौन । 
रक्षक मूक दर्शक बने , 
कातिल पकड़े कौन ।।

©susheel sk

कुछ आहत या क्षुब्ध हैं, कुछ के मन में रोष । बिना किसी अपराध के , साधु मरे निर्दोष ।। वामी बिल में घुस गए , लिबरल साधे मौन । रक्षक मूक दर्शक बने , कातिल पकड़े कौन ।। ©susheel sk

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