कुछ आहत या क्षुब्ध हैं, कुछ के मन में रोष । बिना किसी अपराध के , साधु मरे निर्दोष ।। वामी बिल में घुस गए , लिबरल साधे मौन । रक्षक मूक दर्शक बने , कातिल प.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here