मेरी प्यारी ज़िन्दगी, ठहर एक पल जरा सोच लें जरा कहा | हिंदी शायरी
"मेरी प्यारी ज़िन्दगी, ठहर एक पल जरा
सोच लें जरा
कहां कमी रह गयी
तुम्हें सुलझाने में
अपना बनकर भी
जो नहीं लगता हैं अपना
झुठ कितने बोले
एक सच ना बोला
दूरीया बढ़ती गयी
अकेला रह गया
सारे ज़माने में"
मेरी प्यारी ज़िन्दगी, ठहर एक पल जरा
सोच लें जरा
कहां कमी रह गयी
तुम्हें सुलझाने में
अपना बनकर भी
जो नहीं लगता हैं अपना
झुठ कितने बोले
एक सच ना बोला
दूरीया बढ़ती गयी
अकेला रह गया
सारे ज़माने में