लोकतंत्र अब बस नाम का ही रह गया ! सत्ता के समक्ष ह | हिंदी कविता

"लोकतंत्र अब बस नाम का ही रह गया ! सत्ता के समक्ष हर कोई नतमस्तक हुआ !! जनता की गाढ़ी कमाई सत्ता हड़प बैठी है ! जनता की बचत हड़पने की तैयारी की है !! घर की रक़म नोट बंदी में बैंकों में पहुँचा दी ! बड़े घरानों को कर्ज़ दे बैंकें ही डूबा दी !! कोई आज कोई कल हाथ खड़े कर देगा ! पाँच लाख से अधिक जमा पे ठेंगा ही दिखा देगा !! पाँच लाख में ना शिक्षा पूरी होगी न ही चिकित्सा ! यानि खुद्दारी से जी पाने का ख़तम ही हो जायेगा किस्सा !! हे राम... - आवेश हिंदुस्तानी 01.03.2023 ©Ashok Mangal"

 लोकतंत्र अब बस नाम का ही रह गया !
सत्ता के समक्ष हर कोई नतमस्तक हुआ !!

जनता की गाढ़ी कमाई सत्ता हड़प बैठी है !
जनता की बचत हड़पने की तैयारी की है !!

घर की रक़म नोट बंदी में बैंकों में पहुँचा दी !
बड़े घरानों को कर्ज़ दे बैंकें ही डूबा दी !!

कोई आज कोई कल हाथ खड़े कर देगा !
पाँच लाख से अधिक जमा पे ठेंगा ही दिखा देगा !!

पाँच लाख में ना शिक्षा पूरी होगी न ही चिकित्सा !
यानि खुद्दारी से जी पाने का ख़तम ही हो जायेगा किस्सा !!

हे राम...

- आवेश हिंदुस्तानी 01.03.2023

©Ashok Mangal

लोकतंत्र अब बस नाम का ही रह गया ! सत्ता के समक्ष हर कोई नतमस्तक हुआ !! जनता की गाढ़ी कमाई सत्ता हड़प बैठी है ! जनता की बचत हड़पने की तैयारी की है !! घर की रक़म नोट बंदी में बैंकों में पहुँचा दी ! बड़े घरानों को कर्ज़ दे बैंकें ही डूबा दी !! कोई आज कोई कल हाथ खड़े कर देगा ! पाँच लाख से अधिक जमा पे ठेंगा ही दिखा देगा !! पाँच लाख में ना शिक्षा पूरी होगी न ही चिकित्सा ! यानि खुद्दारी से जी पाने का ख़तम ही हो जायेगा किस्सा !! हे राम... - आवेश हिंदुस्तानी 01.03.2023 ©Ashok Mangal

#Currency
#JanMannKiBaat
#AaveshVaani

People who shared love close

More like this

Trending Topic