मन बै-रागी तन अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है जीवन जी | हिंदी कविता

"मन बै-रागी तन अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है जीवन जीना सहज न समझो बहुत बड़ी फनकारी है औरों जैसे होकर भी हम बा इज्जत है इस बस्ती में कुछ लोगो का सीधा-पन है कुछ अपनी अय्यारी है... ©बेजुबान शायर shivkumar"

 मन बै-रागी तन अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है 
जीवन जीना सहज न समझो बहुत बड़ी फनकारी है 
औरों जैसे होकर भी हम बा इज्जत है इस बस्ती में 
कुछ लोगो का सीधा-पन है कुछ अपनी अय्यारी है...

©बेजुबान शायर shivkumar

मन बै-रागी तन अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है जीवन जीना सहज न समझो बहुत बड़ी फनकारी है औरों जैसे होकर भी हम बा इज्जत है इस बस्ती में कुछ लोगो का सीधा-पन है कुछ अपनी अय्यारी है... ©बेजुबान शायर shivkumar

मन बै-रागी तन #अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है
जीवन जीना #सहज न समझो बहुत बड़ी फनकारी है
औरों जैसे होकर भी हम बा #इज्जत है इस बस्ती में
कुछ लोगो का सीधा-पन है कुछ अपनी अय्यारी है...

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