तेरी लगन लगी साँवरे और जहां से किनारा हो गया,
तू साँस तू ही धड़कन ,तू ही जीने का सहारा हो गया,
बिन तेरे मेरी जीवन नैया को , कौन पार उतारेगा,
मेरे ग़मों की पीर पर्वत सी ,गिरधर तू ही तो धारेगा,
तेरे चरणों की रज पा जाऊँ , तो मोक्ष पा जाऊँ,
ये काया का पिंजरा तोड़ के, तेरे चरणों मे आ जाऊँ,
अब दुनिया के दर्द हिय को , बहुत बेचैन कर जाते हैं,
कष्टों से उबारने भक्तों को ,कृष्ण ही तो आतें हैं,
फिर आ जाओ धरा पे कान्हा,मुरली की तान सुना दो,
सच्ची है लगन तुझसे ,अब मेरी भक्ति को सिला दो ।।
-पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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