मै एक गुजारिश करना चाहता हु
मुसाफिर नहि तेरे दिल का वारिश बनना चाहता हु।
इन बादलो से एक सिफारिश करना चाहता हु,
तेरे बदन को छू सके मै वो बारिश बनना चाहता हु।
नहाता तुम्हे देख बारिश मे भी गुमान झलकता है,
कही चोट ना लग, ओला भी बूदं बन टपकता है।
ज़मीन पर पडे पानी को जब तुम पैरो से बिखराती,
रिमझिम बारिश मे बच्ची सी बन जाती हो।
भीगे बाल तुम्हारे हमे बहुत हमे सिखलाते है,
खुद काले है हुस्न पर तेरे इतराते है।
बारिश मे जब तु खिल खिला के हसती है,
बादल की बिजली भी तेरे पायल की धुन पकडती है।
तेरे होठों को छूकर बारिश का पानी भी धन्य हो जाता है,
बारिश मे नहाता, तुझे, इन आखों से अपराध जघन्य हो जाता है।
होठो से रिसकर पानी जब नाभि तक चला जाता है,
अगली अदा तुम्हारी क्या होगी इशारे मे हमे बतलाता है।
बारिश भीगता देख इन आंखो कब तक तडपाओगी,
चला जाउगां तब अपने दिल को समझाओगी।
लग कर गले मुझसे दिल की कुछ तो बात साझा कर ले,
बनके मेरी हीर, तू मुझको रांझा कर दे।।
©DEVESH KUMAR
जबरदस्ती का प्यार