DEVESH KUMAR

DEVESH KUMAR Lives in Delhi, Delhi, India

sister's love is beyond the imagination in reality

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#विचार  कुछ है आज भी ऐसे, जिनको बेटी से कुछ खास लगाव नही,
 घर में है लक्ष्मी, बहार भी इनका कोई जवाब नहीं

©DEVESH KUMAR

apni pechan

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#लव  ये तो नज़र नज़र की बात है, किसकी नज़र कैसा नज़ारा देखती है,
और एक हमारी नज़र है जो सिर्फ चेहरा तुम्हारा देखती है।
हर के तेरे सारे दर्द खुद को दर्द से भर दूंगा,
तूने साथ जो मेरा छोडा, मै तुझे अकेला कर दूंगा।।
तेरी नज़रो में डूब सकू इतनी तो जान बाकी है,
ऐ इश्क़ तुझसे मेरी पहचान बाकी है।।
ये प्रेम, इश्क़, आशिक़ी मुझे एसी चाहिये जिसमे कोई कलह न हो,
तेरे संग एक रात एसी चाहिऐ जिसकी कोई सुबह न हो।।
सोच कर रखना कदम, इस तरफ, बिछडने पर मेरी यादें भी तुझसे बात करेंगी,
जब भी मिलेगी मेरी नज़र तेरी नज़र से, नज़रे भी मेरी तुझसे सवाल करेंगी।

©DEVESH KUMAR

ये तो नज़र नज़र की बात है, किसकी नज़र कैसा नज़ारा देखती है, और एक हमारी नज़र है जो सिर्फ चेहरा तुम्हारा देखती है। हर के तेरे सारे दर्द खुद को दर्द से भर दूंगा, तूने साथ जो मेरा छोडा, मै तुझे अकेला कर दूंगा।। तेरी नज़रो में डूब सकू इतनी तो जान बाकी है, ऐ इश्क़ तुझसे मेरी पहचान बाकी है।। ये प्रेम, इश्क़, आशिक़ी मुझे एसी चाहिये जिसमे कोई कलह न हो, तेरे संग एक रात एसी चाहिऐ जिसकी कोई सुबह न हो।। सोच कर रखना कदम, इस तरफ, बिछडने पर मेरी यादें भी तुझसे बात करेंगी, जब भी मिलेगी मेरी नज़र तेरी नज़र से, नज़रे भी मेरी तुझसे सवाल करेंगी। ©DEVESH KUMAR

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#eternallove #लव  दुख, दर्द, पीडा ये तो प्रेम के पर्याय है,
एसे ही कुछ दर्द हमे भी है,
हम पूरे कहा तेरे शिवाय है।


साजिश रच चुकी है,..............

©DEVESH KUMAR

#eternallove

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 जीत तलवारो से नही मिलती,
खुद, रोज खुद से लडना पडता है।
बहानो से नही मिलती मजिंल,
हर हाल में पढना पडता है।।
यूंही नही सर झुकाती कामयाबी,
जीतने के लिए अपनी ज़िद पर अडना पडता है।।

©DEVESH KUMAR

First Cry motivation

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#लव #Likho  "सुन"
इस रिश्ते मे मुझे एक आजमाइश करनी है,
गले तुझसे लगके, तेरी ही शिकायत करनी है।।

कब तक शर्मायेगी, कब तक इठलायेगी,
कभी तो इक़रार करेगी,
आज मै कर रहा हूं,
कल तू भी मेरा इतंजार करेगी।।

इस रिश्ते के अब नये उसूल बनेंगे,
''अगर मुलाकात मे देरी हुई'' 
खामियाजा तेरे होठों से वसूल  करेंगे।।

©DEVESH KUMAR

#Likho

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 मै एक गुजारिश करना चाहता हु
मुसाफिर नहि तेरे दिल का वारिश बनना चाहता हु।
इन बादलो से एक सिफारिश करना चाहता हु,
तेरे बदन को छू सके मै वो बारिश बनना चाहता हु।
नहाता तुम्हे देख बारिश मे भी गुमान झलकता है,
कही चोट ना लग, ओला भी बूदं बन टपकता है।
ज़मीन पर पडे पानी को जब तुम पैरो से बिखराती,
रिमझिम बारिश मे बच्ची सी बन जाती हो।
भीगे बाल तुम्हारे हमे बहुत हमे सिखलाते है,
खुद काले है हुस्न पर तेरे इतराते है।
बारिश मे जब तु खिल खिला के हसती है,
बादल की बिजली भी तेरे पायल की धुन पकडती है।
तेरे होठों को छूकर बारिश का पानी भी धन्य हो जाता है,
बारिश मे नहाता, तुझे, इन आखों से अपराध जघन्य हो जाता है।
होठो से रिसकर पानी जब नाभि तक चला जाता है,
अगली अदा तुम्हारी क्या होगी इशारे मे हमे बतलाता है।
बारिश भीगता देख इन आंखो कब तक तडपाओगी,
चला जाउगां तब अपने दिल को समझाओगी।
लग कर  गले मुझसे दिल की कुछ तो बात साझा कर ले,
बनके मेरी हीर, तू मुझको रांझा कर दे।।

©DEVESH KUMAR

जबरदस्ती का प्यार

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