ज़मीं से फ़लक तक, तुम्हें ढूंढा नही था कब जागा था रा

"ज़मीं से फ़लक तक, तुम्हें ढूंढा नही था कब जागा था रात-रात भर जिसके लिए क्या उन हालातों को देखा नहीं था रब"

 ज़मीं से फ़लक तक, तुम्हें ढूंढा नही था कब
जागा था रात-रात भर जिसके लिए
क्या उन हालातों को देखा नहीं था रब

ज़मीं से फ़लक तक, तुम्हें ढूंढा नही था कब जागा था रात-रात भर जिसके लिए क्या उन हालातों को देखा नहीं था रब

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