होली बात गयी कि यूं तो मैं रंगों की गिनती भी भूल गया हूं!
जब से तुम्हारे रंग में रंग गया हूं!!
शायद!
शायद लाल सातवें पे हो या फ़िर पहले पे,
शायद बैगनी पहले पे हो या फ़िर सातवें पे,
नारंगी ने पीला को छुपा लिया हो,
नीला ने जामुनी तथा
लाल ने बैगनी को,
अगर होली खेलना किसी ने प्रारंभ किया होगा तो शायद रंगों ने ही किया होगा,
क्यूंकि इन रंगो को एक साथ शायद ही देखना नसीब होता होगा,
रंगों ने एक दूसरे से शायद प्रेम कर लिया हो,
या फ़िर किसी ने किसी का दिल दुखा दिया हो,
प्रेम में मिलने और हृदय से माफ़ी मांगने के लिए एक उत्सव इन लोगो ने चुना होगा जिसे लोग होली कहते हैं।
इसमें सभी रंग एक में रंग जातें हैं,
एक प्रेमी दूसरे प्रेमी से मिल जातें हैं,
कोई मिल के रोता होगा तो कोई बिछड़ के,
इन्हीं रंगो जैसा मैं भी तुझमें रंग जाना चाहता हूं,
रंग जाना चाहता हूं सात जन्मों के लिए,
रंगों की दुनिया अब कुछ ही दिनों में रंगीन हो जाएगी,
कुछ क्षण खुशियां मनाएंगी,
नाचेंगी, गाएंगीं अपनें प्रेमी तथा प्रेमिका को पाएंगीं।
मैं भी तुम्हें पाना चाहता हूं,
मैं भी तुम्हें हृदय से चाहता हूं तथा
मैं भी तुम्हारे साथ होली मनाना चाहता हूं।
"होली की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को"
"अम्बुज मिश्र"
©ambuj mishra