"बाहर के शोर अब बेदम से हैं
अंदर के शोर ने कुछ ऐसी उधम मचा रखी है
झाकनें को तो खिड़कियां तो खुली है
और दरवाज़े पर मैंने कुंडी लगा रखी है।
jamshed husain"
बाहर के शोर अब बेदम से हैं
अंदर के शोर ने कुछ ऐसी उधम मचा रखी है
झाकनें को तो खिड़कियां तो खुली है
और दरवाज़े पर मैंने कुंडी लगा रखी है।
jamshed husain