कभी आओ तो सही
हमनें चाय भी बना रखी है
बस तेरे इंतज़ार में।
हा वो झुमके वाली दुकान भी
बस तेरे लिए खुलवा रखी है।
एक शाम आज फिर ढलेगा
बस तेरे इंतज़ार में।
jamshed
बाहर के शोर अब बेदम से हैं
अंदर के शोर ने कुछ ऐसी उधम मचा रखी है
झाकनें को तो खिड़कियां तो खुली है
और दरवाज़े पर मैंने कुंडी लगा रखी है।
jamshed husain
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