स्कूल और बेंच यादें ज़िंदगी को पनाह दिया करती हैं,

"स्कूल और बेंच यादें ज़िंदगी को पनाह दिया करती हैं, ख़ुश रहने की सलाह दिया करती हैं, जुदाई में देती है जीने की ताक़त, यादें कितनी हसीन हुआ करती हैं। वो अश्कों को हँसा देती है, वो तन्हाई मिटा देती है, राहें ग़ुम जाती हैं जब कभी, यादें रास्ते इजाद किया करती हैं। रविकुमार ( अंदाज़ ए बयाँ )"

 स्कूल और बेंच यादें ज़िंदगी को पनाह दिया करती हैं,
ख़ुश रहने की सलाह दिया करती हैं,
जुदाई में देती है जीने की ताक़त,
यादें कितनी हसीन हुआ करती हैं।

वो अश्कों को हँसा देती है,
वो तन्हाई मिटा देती है,
राहें ग़ुम जाती हैं जब कभी,
यादें रास्ते इजाद किया करती हैं।

रविकुमार
( अंदाज़ ए बयाँ )

स्कूल और बेंच यादें ज़िंदगी को पनाह दिया करती हैं, ख़ुश रहने की सलाह दिया करती हैं, जुदाई में देती है जीने की ताक़त, यादें कितनी हसीन हुआ करती हैं। वो अश्कों को हँसा देती है, वो तन्हाई मिटा देती है, राहें ग़ुम जाती हैं जब कभी, यादें रास्ते इजाद किया करती हैं। रविकुमार ( अंदाज़ ए बयाँ )

यादें ज़िंदगी को पनाह दिया करती हैं,
ख़ुश रहने की सलाह दिया करती हैं,
जुदाई में देती है जीने की ताक़त,
यादें कितनी हसीन हुआ करती हैं।
वो अश्कों को हँसा देती है,
वो तन्हाई मिटा देती है,
राहें ग़ुम जाती हैं जब कभी,
यादें रास्ते इजाद किया करती हैं।

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