◆◆ सुनहरी यादें ◆◆
अभी देहरी पर बैठकर, प्रकृति को निहारते हुए, शीत लहर के उफान को चेहरे से टकराते, बंद आंखों में कुछ बीते नजारों को सजाते महसूस कर रहा हूँ।
एक भीनी सी मुस्कान चेहरे पर, जैसे किसी वक्त की रेल में सफर कर रहे किसी यात्री सा प्रतीत करवा रही है। कुछ दृश्य उन सुनहरी पलों को पुनः जीवित कर रहें, जो अभी हाल ही में हमने दो दिन साथ में रहकर बिताये थें। बीते उन्ही दो दिनों में हमने जिंदगी के तमाम रंगीन किस्सों में सबसे बेहतरीन किस्से की सैर पर निकले हुए थें। अन्ततः जिसकी यात्रा बहुत ही सुखमय एवं मनमोहक सा रहा।
जब तुम आते हो ना तो सम्पूर्णता लाती हो साथ में। कल्पनायें भाप बन छा जाती हैं। और ये सर्द भरी मौसम और गहरी हो जाती है। शायद! सबसे गहरी और हसीन मुलाकात भी तो यही होती है, जिनमें प्यार जैसे अधूरे शब्द में भी हम दोनों सम्पूर्ण प्रतीत होते हैं।
मैं इस बीच तुम्हारे चेहरों में आते भावों को पढ़ता रहा। दुःख, हताशा, व्यर्थता, व्यग्रता और इंतजार...! वो हर उस समय का हिसाब माँगती रही मुझसे जो मैंने तुम को नजरअंदाज करते हुए यूँ ही गवाँ दिया था, और मैं चुप रहा जब तुम मेरे जीवन मे आए। लेकिन सच में नही पता था कि तुम्हारे बिना रहना कभी इतना भी मुश्किल हो जाएगा। जब हम दोनों को देखकर कभी कोई बोलता है "मेड फार इच अदर" तब विश्वास होता है कि जोड़ियां भगवान ही मिलाता है।
गर! तुम ना हो फिर भी यह सोच लेना भर कि तुम हो कहीं समीप ही। इसमें रस है।
जब तुम मेरे साथ होते हो तो क्यों संसार रंगीन लगती है? हर मंजर तुझ संग खास क्यूँ लगता है?? तुम जानो तो मुझको बताओ। तुम पर ही क्यों सिमट जाता है, मेरा हर आमोद-प्रमोद? जब तुम ना हो तो काटते हैं वो सारे दृश्य, जहां इंसान आह्लाद होता है। इतनी बड़ी दुनिया में तुझ तक सिमट जाता हूँ मैं, तू ना हो तो ताकता हूँ खामोश दीवारों, तकियों, सोफों, चादरों, रजाइयों को
जैसे जीवंत थीं ये तेरे होने पर।
हर वो चीज अब निर्जीव हो गयी तेरे जाने से।
मन करता है अब जब मिलो तो तुम्हारा हाथ पकड़कर कह दूँ कि, जब तुम मेरे जीवन में आये सच में मुझे नही पता था कि, इक दिन तुम मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अंग ही बन जाओगी।
कैसे कर लेते हो ये सब तुम?
जब भी तुम मुझसे मिलती हो, तुम्हारी आँखों में कितना इंतजार दिखती है, जैसे मेरे सिवा ना तुमने कुछ देखा, ना महसूस किया, और ना ही कभी कुछ बोला।।😉🥰
-✍️अभिषेक यादव
©Abhishek Yadav
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