ज़िंदगी को समझना आसान नहीं
इसमें इतनी उलझन भी नहीं
उधेड़बुन सारी इसमें करता है तू
फिर अपनी क़िस्मत को दोष देता है तू
अब समझ जा, रुक जा, एक पल को ज़रा
क्या लेके आया है, क्या लेके जाएगा
क्यूँ इतनी बेसब्री से दौड़ता, ठहर जा ज़रा ll
तरंगो में बह जा, ले जाएगा तुझे समुंदर
जहाँ तेरे धागा का आख़िर हिस्सा बंधा है यारा
जितना ढीला छोड़ेगा उतना खुल पाएगा
ख़ाली तो आया है, कुछ ना बटोर ले जाएगा ll
....🖋️DEV
#यह पल