तू मेरा ज़ुनून है, ख़्वाब है, जुस्तजू है,
मेरे रब से मांगु, तू वो आख़िरी आरज़ू है
जान-ए-ग़ज़ल मेरी, न जाना कभी रूठ के,
मरने के बाद भी चाहेंगे तुम्हें टूट के ll
रश्क़-ए-क़मर ने मुझे दीवाना बनाया,
शहर की हर गलियों से तेरा-मेरा नाम आया,
अब चाहे तू जितना इम्तिहान ले ले,
नफ़्स का हर कोना अब तेरा मेरे हमसाया ll
.....🖋️DEV
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