दीवारें कहती हैं कि मकसद नहीं उनका बढ़ते कदम रोकन | हिंदी कविता

"दीवारें कहती हैं कि मकसद नहीं उनका बढ़ते कदम रोकना, इरादा नहीं उनका किसी को कैद रखना। हर दीवार गिरती है हमारे हौसलों के दम पर, बनता है सूराख खुद की क़ाबिलियत अनुसार। ऊँचा उड़ना है तो अदृश्य दीवारें तोड़नी होगी, आजाद होकर ही हर एक मंजिल मिलेगी। आराधना अग्रवाल ©Aaradhana Agarwal"

 दीवारें कहती हैं कि 
मकसद नहीं उनका बढ़ते कदम रोकना, 
इरादा नहीं उनका किसी को कैद रखना। 
हर दीवार गिरती है हमारे हौसलों के दम पर, 
बनता है सूराख खुद की क़ाबिलियत अनुसार। 
ऊँचा उड़ना है तो अदृश्य दीवारें तोड़नी होगी, 
आजाद होकर ही हर एक मंजिल मिलेगी। 
आराधना अग्रवाल

©Aaradhana Agarwal

दीवारें कहती हैं कि मकसद नहीं उनका बढ़ते कदम रोकना, इरादा नहीं उनका किसी को कैद रखना। हर दीवार गिरती है हमारे हौसलों के दम पर, बनता है सूराख खुद की क़ाबिलियत अनुसार। ऊँचा उड़ना है तो अदृश्य दीवारें तोड़नी होगी, आजाद होकर ही हर एक मंजिल मिलेगी। आराधना अग्रवाल ©Aaradhana Agarwal

दीवारें कहती हैं कि...
#thepoeticmeee

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