घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ती रही पर समय थम गया था अब झम | हिंदी विचार

"घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ती रही पर समय थम गया था अब झमेले बहुत है हम अकेले बहुत है बस खोने का डर है यहाँ मेले बहुत है जीतते है वो हमेशा दिलों से खेले बहुत है कहाँ कहाँ जख्म खरीदूँ इश्क के ठेले बहुत है मुस्कुरा देती हूँ बस क्या करें झेले बहुत है"

 घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ती रही  पर समय थम गया था अब झमेले बहुत है
हम अकेले बहुत है
बस खोने का डर है
यहाँ मेले बहुत है
जीतते है वो हमेशा
दिलों से खेले बहुत है
कहाँ कहाँ जख्म खरीदूँ
इश्क के ठेले बहुत है
मुस्कुरा देती हूँ बस
क्या करें झेले बहुत है

घड़ी की सुइयाँ आगे बढ़ती रही पर समय थम गया था अब झमेले बहुत है हम अकेले बहुत है बस खोने का डर है यहाँ मेले बहुत है जीतते है वो हमेशा दिलों से खेले बहुत है कहाँ कहाँ जख्म खरीदूँ इश्क के ठेले बहुत है मुस्कुरा देती हूँ बस क्या करें झेले बहुत है

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