White * फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब * ************* | हिंदी शायरी

"White * फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब * *************************** फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब है, परियों सी सुंदर हूर मेरी महबूब है। चढ़ जाए इश्क़िया रंग तन-मन में, इश्क के नशे में चूर मेरी महबूब है। अखियों में छाई सूरत वो मूरत सी, एक पल भी न दूर मेरी महबूब है। अंग-अंग महकता है ख़ुश्बो भरा, यौवन से भरा तंदूर मेरी महबूब है। पी लूं होठों से जाम मोहब्बत का, रसभरी जैसे अंगूर मेरी महबूब है। नशीली निगाहें बहकाती है पथ से, मेरे जीने का गुरूर मेरी महबूब है। मनसीरत प्यारी दुलारी है हसीना, फूलों लदी भरपूर मेरी महबूब है। ************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh"

 White * फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
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फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब है,
परियों सी सुंदर हूर मेरी महबूब है।

चढ़ जाए  इश्क़िया रंग तन-मन में,
इश्क के नशे में चूर मेरी महबूब है।

अखियों में छाई सूरत वो मूरत सी,
एक पल  भी न दूर मेरी महबूब है।

अंग-अंग  महकता है ख़ुश्बो भरा,
यौवन से भरा तंदूर मेरी महबूब है।

पी लूं  होठों से जाम मोहब्बत का,
रसभरी जैसे अंगूर मेरी महबूब है।

नशीली निगाहें बहकाती है पथ से,
मेरे जीने  का गुरूर मेरी महबूब है।

मनसीरत प्यारी दुलारी है हसीना,
फूलों लदी भरपूर  मेरी महबूब है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

White * फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब * *************************** फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब है, परियों सी सुंदर हूर मेरी महबूब है। चढ़ जाए इश्क़िया रंग तन-मन में, इश्क के नशे में चूर मेरी महबूब है। अखियों में छाई सूरत वो मूरत सी, एक पल भी न दूर मेरी महबूब है। अंग-अंग महकता है ख़ुश्बो भरा, यौवन से भरा तंदूर मेरी महबूब है। पी लूं होठों से जाम मोहब्बत का, रसभरी जैसे अंगूर मेरी महबूब है। नशीली निगाहें बहकाती है पथ से, मेरे जीने का गुरूर मेरी महबूब है। मनसीरत प्यारी दुलारी है हसीना, फूलों लदी भरपूर मेरी महबूब है। ************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

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