White तन्हाई के बिछोने में भी सांसे चलती रही ।
मेरी आँखे बस तेरे ही ख्वाब पालती रही ।।
शबनम की बूंदे भी भिगो न सकी जमीं को।
मोम की तरह रूह बारिश में जलती रही ।।
एक लम्हे के बाद भी मेरी याद नही आई।
दिल मुकर गया इश्क की रिहाई होती रही ।।
सांसे रूक गई मगर धड़कने चलती ।रहती
सम्से राते फिजाओं से सौदेबाजी करती रही।।
झूठी बात ना करो अफसानों की दनिया मे ।
नफरती लोगो मेरी मोहब्बत खलती रही ।।
©Ashok Jorasia
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