वाक़िफ़ हूँ मैं भी दर्द की लज़्ज़त से दोस्तों मुझ | हिंदी शायरी

"वाक़िफ़ हूँ मैं भी दर्द की लज़्ज़त से दोस्तों मुझ पर भी की है वक़्त ने रहमत कभी-कभी ©पीयूष गोयल बेदिल"

 वाक़िफ़ हूँ मैं भी दर्द की लज़्ज़त से दोस्तों
मुझ पर भी की है वक़्त ने रहमत कभी-कभी

©पीयूष गोयल बेदिल

वाक़िफ़ हूँ मैं भी दर्द की लज़्ज़त से दोस्तों मुझ पर भी की है वक़्त ने रहमत कभी-कभी ©पीयूष गोयल बेदिल

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