White तपते रेगिस्तान में वृक्ष जैसी, माँ बस तू ही | हिंदी कविता Video

"White तपते रेगिस्तान में वृक्ष जैसी, माँ बस तू ही है मेरी सच्ची हितैषी, तू है तो निश्चित हूँ, कर्मों से न विचलित हूँ, तू ही तो मेरी रक्षक और मित्र जैसी, बस माँ तू ही मेरी सच्ची हितैषी। अच्छा बुरा बस तुझसे कहना, मन को खंगाल कर तेरे सामने रखना, बस मेरी आदत है कुछ ऐसी, माँ तू ही है मेरी सच्ची हितैषी।जब तक तू हैं मैं आश्वस्त हूँ, मजबूत हूँ, निर्भीक हूँ, तू ही तो रक्षा कवच जैसी, माँ तू ही मेरी सच्ची हितैषी। कभी मुझसे न रूठना तुम, न कभी दूर ही जाना, मैं तेरी परछाई और तुझ जैसी, माँ तू ही तो मेरी सच्ची हितैषी। ©Sarika Vahalia "

White तपते रेगिस्तान में वृक्ष जैसी, माँ बस तू ही है मेरी सच्ची हितैषी, तू है तो निश्चित हूँ, कर्मों से न विचलित हूँ, तू ही तो मेरी रक्षक और मित्र जैसी, बस माँ तू ही मेरी सच्ची हितैषी। अच्छा बुरा बस तुझसे कहना, मन को खंगाल कर तेरे सामने रखना, बस मेरी आदत है कुछ ऐसी, माँ तू ही है मेरी सच्ची हितैषी।जब तक तू हैं मैं आश्वस्त हूँ, मजबूत हूँ, निर्भीक हूँ, तू ही तो रक्षा कवच जैसी, माँ तू ही मेरी सच्ची हितैषी। कभी मुझसे न रूठना तुम, न कभी दूर ही जाना, मैं तेरी परछाई और तुझ जैसी, माँ तू ही तो मेरी सच्ची हितैषी। ©Sarika Vahalia

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