आँख का दरिया गर तूफानी हो जाए शहर-ए-सहरा पानी पानी | हिंदी शायरी

"आँख का दरिया गर तूफानी हो जाए शहर-ए-सहरा पानी पानी हो जाए उतार फेकूँ गर मैं पलकों से अपनी तेरे ख़्वाबों की अर्ज़ानी हो जाए दिनेश गुप्ता 'दिन'"

 आँख का दरिया गर तूफानी हो जाए
शहर-ए-सहरा पानी पानी हो जाए

उतार फेकूँ गर मैं पलकों से अपनी
तेरे ख़्वाबों की अर्ज़ानी हो जाए

                       दिनेश गुप्ता 'दिन'

आँख का दरिया गर तूफानी हो जाए शहर-ए-सहरा पानी पानी हो जाए उतार फेकूँ गर मैं पलकों से अपनी तेरे ख़्वाबों की अर्ज़ानी हो जाए दिनेश गुप्ता 'दिन'

आँख का दरिया गर तूफानी हो जाए
शहर-ए-सहरा पानी पानी हो जाए

उतार फेकूँ गर मैं पलकों से अपनी
तेरे ख़्वाबों की अर्ज़ानी हो जाए

दिनेश गुप्ता 'दिन'

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