नज़र तो चाहती है देखना नया चेहरा पर
तेरे ख़्वाबों ने आँखों को उलझा रक्खा है
दिनेश गुप्ता 'दिन'
11 Love
#शहीद दिवस
लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका आज, कल उसका आगाज़ आएगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा
मैं रहूँ या ना रहूँ, ये वादा है तुझसे मेरा
मेरे बाद वतन पे मिटने को सैलाब आएगा
दिनेश गुप्ता 'दिन'
#शहीद दिवस
लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका आज, कल उसका आगाज़ आएगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा
मैं रहूँ या ना रहूँ, ये वादा है तुझसे मेरा
मेरे बाद वतन पे मिटने को सैलाब आएगा
दिनेश गुप्ता 'दिन'
12 Love
दानिशमंदों को ये हुनर नसीब नहीं
शेर हो जाते हैं अक्सर नादानी में
दिनेश गुप्ता 'दिन'
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