सुनो ,ये जो मुठ्ठी भर वक्त,रत्ती भर एहसास और चुटकी भर प्रेम मुझ पर बरसा जाते हो
मुझे किसी की जूठन सा लगता है ।
इसलिए
ऐसा करो की इन्हें भी समेट कर ले जाओ और
न्यौछावर कर दो ’उस’ खुशनसीब पर,
आखिर वो भी तो जाने
किस दिलदार से पाला पड़ा था 💔।
©sunita acharya
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