- निश्चल छंद -
23 मात्रा, 16,7 पर यति, चरणांत में 2,1
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1-
कुछ लोगों को भ्रम हो जाता, वही महान।
भक्त मंडली करती उनके, नित गुणगान।।
पर जो होते हैं नैसर्गिक, प्रतिभावान।
वही विवेकानंद सरीखा, पाते मान।।
2-
जीव जगत का जिनको होता, सच्चा ज्ञान।
सपने में भी उन्हें न होता, कभी गुमान।।
प्राणिमात्र का जो करते हैं, खुद सम्मान।
उन्हें मान देता है मन से, सकल जहान।।
- हरिओम श्रीवास्तव -
©Hariom Shrivastava