वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है नहीं | हिंदी कविता

"वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है चुनाव की हर किताब में यहां मौसम सुहाना है सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए वादों पे कौन कितना यहां सरकार रहता है दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है ये वक्त का समंदर है राम हर हिसाब से गहरा कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है *राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि 🖊️...."

 वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है 
नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है 

मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां 
मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है 

सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब 
जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है

चुनाव की  हर किताब में यहां मौसम सुहाना है 
सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है 

चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए 
वादों पे कौन  कितना यहां सरकार रहता है 

दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको 
एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है 

ये वक्त का समंदर है  राम हर  हिसाब से गहरा 
कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है

*राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि  🖊️....

वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है चुनाव की हर किताब में यहां मौसम सुहाना है सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए वादों पे कौन कितना यहां सरकार रहता है दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है ये वक्त का समंदर है राम हर हिसाब से गहरा कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है *राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि 🖊️....

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