दो बाते
चल कुछ दो बाते करते है
हम अनजान ही सही पर, चल दो कदम साथ चलते है
कहने को तो यहाँ ना कोई अपना है ना पराया
मतलब तो जरूरतें बताती है ,बाकी सब है मोह माया
यहाँ भीड में भी लोग तनहा ठहरे हुए हैं
ये हॅसमुख चेहरे भी अंदर से टुटे हुए हैं
कुछ पल ठहरिये और थोडा मुस्कराए
ये भाग दौड़ मे कन्ही गुम हो गए हैं
कुछ पल निकाल के खुद से ही गुप्तगु कीजिए।।
-bebak_poetry
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