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bebak_poetry Lives in Hazaribagh, Jharkhand, India

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हर बार इतना क्यों सोचते हो चलो कभी हार भी गए तो क्या पर खुद से भी क्यों हारते हो ये अंधेरा तो कुछ पल का ही मेहमान है ये हार भी समझो कुछ पल का ईनाम है पंख लगे हैं होसलो का फिर क्यों घायल बैठे हो तुम्हें तो मंजिल फतेह करनी है और तुम हार से चिपके बैठे हो जिंदगी का जंग है मेरे यार, दौडना भी तुम्हीं को है और गिरकर संभलना भी तुम्हीं को है।। -bebak_poetry ©bebak_poetry

 हर बार इतना क्यों सोचते हो
चलो कभी हार भी गए तो क्या
पर खुद से भी क्यों हारते हो
ये अंधेरा तो कुछ पल का ही मेहमान है
ये हार भी समझो कुछ पल का ईनाम है
पंख लगे हैं होसलो का फिर क्यों घायल बैठे हो
तुम्हें तो मंजिल फतेह करनी है और तुम हार से चिपके बैठे हो
जिंदगी का जंग है मेरे यार, दौडना भी तुम्हीं को है
और गिरकर संभलना भी तुम्हीं को है।।
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#motivation # success # life # trending #nojoto # poetry #lost

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हर रोज मैं तुम क्या लिखू वो बीती शाम लिखूं या तेरे चेहरे का फिर गुनगान लिखूं तेरे आंखों के गहराई का वो राज लिखूं या फिर से तेरे अनेक अंदाज लिखूं कुछ तो बात है तेरी अदा में वरना यु ही लोग फ़िदा ना होता दिन के ढलने के बाद हर शाम तेरे साथ बैठने का इंतजार यु ही बेवजह ना होता सफेद पड़े कागज में अब मैं क्या रंगीन लिखूं अब तुम ही बताओ मैं तुम पर क्या लिखूं।। ©bebak_poetry

#शायरी #shayri #zindgi #status  हर रोज मैं तुम क्या लिखू
वो बीती शाम लिखूं या तेरे चेहरे 
का फिर गुनगान लिखूं
तेरे आंखों के गहराई का वो राज लिखूं
या फिर से तेरे अनेक अंदाज लिखूं
कुछ तो बात है तेरी अदा में वरना
यु ही लोग फ़िदा ना होता
दिन के ढलने के बाद हर शाम तेरे साथ बैठने 
का इंतजार यु ही बेवजह ना होता
सफेद पड़े कागज में अब मैं क्या रंगीन लिखूं
अब तुम ही बताओ मैं तुम पर क्या लिखूं।।

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कुछ देर पहले आए हुए आँधी मे गिरा हुआ तिनका अपना वजूद ढूंढ रहा है उसी बारिश में भीगा पत्ता सुर्य की प्रकाश मे चमक रहा है यु बेवजह आँधियो के आने से,मजबुत पेड़ भी टुट जाते हैं  छोटे पेड़ पौधे खुद को झुकाकर ,दुबारा उठ जाते हैं कभी कभी जिंदगी के इम्तिहान मे भी झुककर उठना सीखो न की टुटकर बिखर जाना सीखो । -bebak_poetry

#StarsthroughTree #Inspiration #Motivation #Success #Zindagi  कुछ देर पहले आए हुए आँधी मे गिरा हुआ तिनका अपना वजूद ढूंढ रहा है 
उसी बारिश में भीगा पत्ता सुर्य की प्रकाश मे चमक रहा है 
यु बेवजह आँधियो के आने से,मजबुत पेड़ भी टुट जाते हैं
 छोटे पेड़ पौधे खुद को झुकाकर ,दुबारा उठ जाते हैं 
कभी कभी जिंदगी के इम्तिहान मे भी  झुककर उठना सीखो
न की टुटकर बिखर जाना सीखो ।

-bebak_poetry

दो बाते चल कुछ दो बाते करते है हम अनजान ही सही पर, चल दो कदम साथ चलते है कहने को तो यहाँ ना कोई अपना है ना पराया मतलब तो जरूरतें बताती है ,बाकी सब है मोह माया यहाँ भीड में भी लोग तनहा ठहरे हुए हैं ये हॅसमुख चेहरे भी अंदर से टुटे हुए हैं कुछ पल ठहरिये और थोडा मुस्कराए ये भाग दौड़ मे कन्ही गुम हो गए हैं कुछ पल निकाल के खुद से ही गुप्तगु कीजिए।। -bebak_poetry

#Memories #Zindagi #Shayar #pyaar  दो बाते

चल कुछ दो बाते करते है
हम अनजान ही सही पर, चल दो कदम साथ चलते है
कहने को तो यहाँ ना कोई अपना है ना पराया
मतलब तो जरूरतें बताती है ,बाकी सब है मोह माया
यहाँ भीड में भी लोग तनहा ठहरे हुए हैं
ये हॅसमुख चेहरे भी अंदर से टुटे हुए हैं
कुछ पल ठहरिये और थोडा मुस्कराए
ये भाग दौड़ मे कन्ही गुम हो गए हैं
कुछ पल निकाल के खुद से ही गुप्तगु कीजिए।।

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ये जिंदगी मैं तुमसे लड़ना चाहता हूं शायद जीतने की उम्मीद ना हो पर तुमसे लड़ कर हारना चाहता हूं बेशक भीड़ बहुत है यहां पर कुछ अलग बनके दिखना चाहता हूं ठहरने की आदत कब का भुल चुका हूं बस तेज रफ्तार से तुझसे मिलना चाहता हूं नौसिखिया आज भी हूं मै और तेरे जीने की तरीके से बहुत कुछ सीखना चाहता हूं ये जिंदगी आज भी तुमसे लड़ना चाहता हूं।।

#Inspiration #Motivation #Dullness #Success #Zindagi  ये जिंदगी मैं तुमसे लड़ना चाहता हूं
शायद जीतने की उम्मीद ना हो पर तुमसे लड़ कर हारना चाहता हूं
बेशक भीड़ बहुत है यहां पर कुछ अलग बनके दिखना चाहता हूं
ठहरने की आदत कब का भुल चुका हूं बस तेज रफ्तार से तुझसे मिलना चाहता हूं
नौसिखिया आज भी हूं मै और तेरे जीने की तरीके से बहुत कुछ सीखना चाहता हूं
ये जिंदगी आज भी तुमसे लड़ना चाहता हूं।।

दो शब्द ही तो लिखे थे और हमेशा की तरह फिर चेहरे पर उलझता जा रहा था कलम के नीचे पडा सफेद कागज ,कहानियो से रंगीन होने के लिए बेताब हुए जा रहा था । यु तो वक़्त सबको बदल देता है तो उसका भी बदलना लाजमी होता है अब तो मुलाकातें बस यादों के शहर में और बाते कविता के शब्दो से होता है ।

#nozotohindi #meltingdown #Trending #shayayri #Zindagi  दो शब्द ही तो लिखे थे और हमेशा की तरह फिर चेहरे पर उलझता जा रहा था 
कलम के नीचे पडा सफेद कागज ,कहानियो से रंगीन होने के लिए  बेताब हुए जा रहा था ।

यु तो वक़्त सबको बदल देता है तो उसका भी बदलना लाजमी होता है 
अब तो मुलाकातें बस  यादों के शहर में और बाते कविता के शब्दो से होता है ।
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