कुछ देर पहले आए हुए आँधी मे गिरा हुआ तिनका अपना वजूद ढूंढ रहा है
उसी बारिश में भीगा पत्ता सुर्य की प्रकाश मे चमक रहा है
यु बेवजह आँधियो के आने से,मजबुत पेड़ भी टुट जाते हैं
छोटे पेड़ पौधे खुद को झुकाकर ,दुबारा उठ जाते हैं
कभी कभी जिंदगी के इम्तिहान मे भी झुककर उठना सीखो
न की टुटकर बिखर जाना सीखो ।
-bebak_poetry
दो बाते
चल कुछ दो बाते करते है
हम अनजान ही सही पर, चल दो कदम साथ चलते है
कहने को तो यहाँ ना कोई अपना है ना पराया
मतलब तो जरूरतें बताती है ,बाकी सब है मोह माया
यहाँ भीड में भी लोग तनहा ठहरे हुए हैं
ये हॅसमुख चेहरे भी अंदर से टुटे हुए हैं
कुछ पल ठहरिये और थोडा मुस्कराए
ये भाग दौड़ मे कन्ही गुम हो गए हैं
कुछ पल निकाल के खुद से ही गुप्तगु कीजिए।।
-bebak_poetry
ये जिंदगी मैं तुमसे लड़ना चाहता हूं
शायद जीतने की उम्मीद ना हो पर तुमसे लड़ कर हारना चाहता हूं
बेशक भीड़ बहुत है यहां पर कुछ अलग बनके दिखना चाहता हूं
ठहरने की आदत कब का भुल चुका हूं बस तेज रफ्तार से तुझसे मिलना चाहता हूं
नौसिखिया आज भी हूं मै और तेरे जीने की तरीके से बहुत कुछ सीखना चाहता हूं
ये जिंदगी आज भी तुमसे लड़ना चाहता हूं।।
दो शब्द ही तो लिखे थे और हमेशा की तरह फिर चेहरे पर उलझता जा रहा था
कलम के नीचे पडा सफेद कागज ,कहानियो से रंगीन होने के लिए बेताब हुए जा रहा था ।
यु तो वक़्त सबको बदल देता है तो उसका भी बदलना लाजमी होता है
अब तो मुलाकातें बस यादों के शहर में और बाते कविता के शब्दो से होता है ।
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